🌹 शेर-ए-पंजाब भगत सिंह | इंकलाब का अमर नायक 🌹
आज़ादी की जोत जलाने वाले, मातृभूमि के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले मात्र 23 वर्षीय युवा शहीद-ए-आजम भगत सिंह का नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। उन्होंने उस समय की सोई हुई जनता को अपनी गूंजती हुई आवाज़ से जगाया, जो आज भी हर देशभक्त के दिल में गूंजती है— “इंकलाब जिंदाबाद” और “साम्राज्यवाद का नाश हो”। भगत सिंह ने अपने विचारों और अदम्य साहस से युवाओं के लिए यह संदेश दिया कि सच्चा देशप्रेम बलिदान से बढ़कर कुछ नहीं होता। उनकी जयंती पर हम उन्हें नमन करते हुए उस पवित्र क्रांति की मशाल को आगे बढ़ाने का संकल्प लेते हैं, जिसे उन्होंने अपने रक्त से प्रज्वलित किया।
✊ “इंकलाब जिंदाबाद” ✊
🔥 “साम्राज्यवाद का नाश हो” 🔥
— शहीद-ए-आजम भगत सिंह की अमर पुकार
देश की खातिर हँस के चढ़ गया बलिदान।
असेंबली में बम से गूँजी थी आवाज़,
"इंकलाब जिंदाबाद" की गूँजी थी गूँज आज।
✊ “इंकलाब जिंदाबाद” ✊
🔥 “साम्राज्यवाद का नाश हो” 🔥
— शहीद-ए-आजम भगत सिंह की अमर पुकार
🌟 भगत सिंह का जन्म और परिवार
सरदार भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को पंजाब के लायलपुर जिले (आज पाकिस्तान में) के बंगा गाँव में हुआ। उनके दादा सरदार अर्जुन सिंह, पिता किशन सिंह और चाचा अजीत सिंह स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय थे। क्रांति का संस्कार उन्हें परिवार से ही मिला।
🔥 असेंबली बमकांड और नारे
8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने दिल्ली की केंद्रीय असेंबली में बम फेंका। यह बम किसी को नुकसान पहुँचाने के लिए नहीं था, बल्कि अंग्रेज़ सरकार को चेताने के लिए था।
उस समय भगत सिंह की आवाज़ गूँजी – “इंकलाब जिंदाबाद” और “साम्राज्यवाद का नाश हो”।
💔 शहादत
17 दिसंबर 1928 को उन्होंने लाला लाजपत राय की मृत्यु का बदला लेते हुए अंग्रेज अधिकारी सांडर्स की हत्या की।
इसके बाद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को सजा-ए-मौत सुनाई गई। 23 मार्च 1931 को, मात्र 23 वर्ष की आयु में वे हँसते-हँसते फाँसी के तख्ते पर चढ़ गए।
🌍 भगत सिंह का विचार और संदेश
- क्रांति सिर्फ हथियारों से नहीं, विचारों की शक्ति से भी होती है।
 - स्वतंत्रता का सपना जनता की जागृति से ही साकार होगा।
 - “इंकलाब जिंदाबाद” – केवल एक नारा नहीं, बल्कि युवा ऊर्जा का प्रतीक
 
🎉 भगत सिंह जयंती का महत्व
आज भी भगत सिंह जयंती पर सांस्कृतिक कार्यक्रम, कवि सम्मलेन और रागनियाँ गाई जाती हैं। उनकी शहादत नई पीढ़ी को प्रेरित करती है कि देश के लिए जीना और मरना ही सबसे बड़ा धर्म
उनकी आवाज़ आज भी गूँज रही है –
“इंकलाब जिंदाबाद”
“साम्राज्यवाद का नाश हो”
🔖 निष्कर्ष
भगत सिंह सिर्फ एक क्रांतिकारी नहीं, बल्कि युवा चेतना और साहस का प्रतीक
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