"जय श्री लक्ष्मी नारायण | जय ज्योतिष का विज्ञान और जय बेजुबानों का कल्याण"
परिचय (Introduction):
यह लेख एक साधक, एक ज्योतिर्विद की आत्मा से निकली हुई वह अनुभूति है, जो न केवल परमात्मा की कृपा को महसूस करता है, बल्कि उसे समाज, जीव-जंतुओं और प्रकृति के कल्याण के रूप में प्रकट भी करना चाहता है।
यहां लक्ष्मी-नारायण की आराधना, बेजुबानों के कल्याण की भावना और ज्योतिष विज्ञान की दिव्यता — तीनों को एक साथ समाहित किया गया है।
मुख्य लेख (Main Body):
जय श्री लक्ष्मी नारायण | जय बेजुबानों का कल्याण | जय ज्योति का विज्ञान
इन पंक्तियों में छुपी है वह दिव्य शक्ति, जो सृष्टि के हर प्राणी के कल्याण की इच्छा रखती है। यह कोई संयोग नहीं कि यह वाक्य हमारे मन में आया, बल्कि यह ईश्वर की इच्छा है — कि ज्ञान, सेवा और आध्यात्म का यह संगम मानवता के लिए लाभकारी बने।
ईश्वर की योजना:
भगवान विष्णु इस सृष्टि के पालनहार हैं। उनका कार्य न केवल मानव, बल्कि हर जीव, वृक्ष, पशु-पक्षी, जल और वायु का भी कल्याण करना है। जो कोई भी इस दिशा में कार्य करता है, वह भगवान की इच्छा को पूर्ण करने वाला माध्यम बन जाता है।
ज्योतिष एक दिव्य विज्ञान है:
यह विज्ञान केवल ग्रह-नक्षत्रों की गणना नहीं, बल्कि आत्मा के यात्रा की दिशा बताने वाला प्रकाश है।
सप्त ऋषियों ने, महर्षि पराशर, जमदग्नि, बृहस्पति और वराहमिहिर जैसे ऋषियों ने इसे ईश्वर से प्राप्त कर मानवता को समर्पित किया।
नक्षत्रों की ऊर्जा:
हर नक्षत्र, हर राशि एक विशिष्ट ऊर्जा लिए हुए है। जब कोई ग्रह इन नक्षत्रों से गुजरता है, तो वह ऊर्जा उस जातक के जीवन में एक नई अनुभूति, एक नया प्रभाव लाती है। जैसे अग्नि के पास ताप होता है, वैसे ही नक्षत्रों की छाया जीवन में परिवर्तन लाती है।
कर्म और फल का सिद्धांत:
भगवान विष्णु कहते हैं — मैं तेरा पालनहार हूं, पर तुझे अपने कर्मों का फल स्वयं भोगना होगा।
जैसे-जैसा कर्म करोगे, वैसा ही फल भोगोगे। और यही फल प्रदान करने का कार्य मैं नौ ग्रहों के माध्यम से करता हूं।
बेजुबानों का कल्याण:
इस युग में जब मनुष्य केवल अपने लिए सोचने लगा है, वहां यदि कोई पशु-पक्षियों, पेड़ों और प्रकृति के लिए कार्य करता है, तो वह वास्तव में ईश्वर का कार्य करता है। यह लेख उसी भावना को समर्पित है — कि हम ज्योतिष विज्ञान का उपयोग आत्मा के कल्याण और सेवा कार्यों के लिए करें।
निष्कर्ष (Conclusion):
ज्योतिष कोई व्यवसाय नहीं, यह ईश्वर द्वारा दिया गया साधन है — आत्मा की दिशा, प्रकृति की गति, और सेवा की भावना को समझने के लिए।
जो इस ज्ञान को अपनाता है, वह न केवल अपना कल्याण करता है, बल्कि दूसरों के जीवन को भी प्रकाशित करता है।
लक्ष्मी-नारायण की कृपा तभी संपूर्ण होती है जब हमारी चेतना सेवा में समर्पित हो — और वह सेवा बेजुबानों की हो, प्रकृति की हो, आत्मा की हो।
प्रश्नोत्तरी (FAQs):
Q1: यह लेख किसके लिए है?
Ans: यह लेख उन सभी साधकों, ज्योतिषियों और सेवाभावी लोगों के लिए है जो आत्मा के स्तर पर कार्य करना चाहते हैं।
Q2: ज्योतिष को सेवा से कैसे जोड़ा जा सकता है?
Ans: ज्योतिष से हम किसी भी जीव के जीवन का मार्गदर्शन कर सकते हैं। और यदि इस मार्गदर्शन से बेजुबानों, पर्यावरण या समाज का भला होता है, तो यह ईश्वर की सेवा है।
Q3: क्या ज्योतिष का उपयोग केवल मनुष्यों के लिए होता है?
Ans: नहीं, यह प्रकृति की हर इकाई — पशु, पक्षी, पेड़-पौधे, यहां तक कि स्थान और भवन तक पर भी लागू होता है।