Paramatma Ka Sandesh Book Summary-By AI ASTRO.JSL
परमात्मा का संदेश Book–By प्रदीप मुखर्जी का संक्षिप्त सार
मुख्य बिंदु:
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शेप शिफ्टर्स की अवधारणा:
फोर्थ डायमेंशन से लेकर ऊपर तक जितने भी जीव हैं, सभी शेप शिफ्टर्स हैं – यानी वे कोई भी आकार, चेहरा, रूप या आवाज़ ले सकते हैं। -
मानव में पाँच तत्त्वों का समावेश:
हम पाँच चीज़ों से मिलकर बने हैं –
शरीर, मन, व्यक्ति, ऊर्जा शरीर, और ईश्वर।
इसके अलावा हमारा कोई अस्तित्व नहीं है। -
कर्म का निषेध:
"There is no such thing as Karma" – कर्म जैसी कोई चीज़ नहीं है।
यह एक मिथ्या धारणा है। -
21 ब्रह्मांडों की अवधारणा:
मनुष्यों को 21 ब्रह्मांड दिए गए हैं, जिसमें वे स्वतंत्र रूप से कार्य कर सकते हैं।
परमात्मा ने कहा – "मैं आकर तुम्हें रोकूँगा नहीं।" -
प्रदीप मुखर्जी को मिला संदेश:
वे स्वयं को मैसेंजर ऑफ गॉड मानते हैं।
उनका दावा है कि यह ज्ञान उन्हें परमात्मा से प्रेरणा स्वरूप प्राप्त हुआ है, और वे उसका प्रसार कर रहे हैं। -
परमात्मा और देवताओं में अंतर:
- परमात्मा वह है जो अमर, अनंत, और सत्यम् है।
- जिन देवताओं को पूजा जाता है (जैसे राम, कृष्ण, शिव), वे परमात्मा नहीं हैं, बल्कि नीचे स्तर के रूप हैं।
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कबीर का दृष्टिकोण:
- कबीर ने तीन 'राम' की चर्चा की:
- पहला राम – जो देवताओं का प्रतिनिधित्व करता है (नीचे का स्तर)।
- दूसरा राम – आत्मा, जो अंदर रहता है।
- तीसरा राम – ब्रह्मांड का राजा, पर फिर भी वह भी परमात्मा नहीं है।
- कबीर का कहना था कि “जिसे तुम पूजते हो, वह परमात्मा नहीं है।”
- कबीर ने तीन 'राम' की चर्चा की:
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शास्त्रों में ब्रह्म और आत्मन का अंतर:
- ब्रह्मण: वह सागर है, मैट्रिक्स है, ultimate reality है।
- आत्मन: जब ब्रह्म किसी जीव में प्रवेश करता है तो वह आत्मन कहलाता है – यह स्पिरिट है, न कि आत्मा।
- आत्मा और आत्मन को एक मानना एक बहुत बड़ी भूल है।
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सागर और लहर का उदाहरण:
- जैसे सागर से एक लहर निकलकर किसी जीव में जाती है और वह सजीव हो जाता है।
- यह लहर (आत्मन) ब्रह्म का अंश है।
- वही लहर वापस सागर (ब्रह्म) में मिल जाती है।
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ईश्वर एक भी है और अनेक भी:
- एक इसलिए कि सब उसी ब्रह्म से निकले हैं।
- अनेक इसलिए कि हर जीव में वह लहर अलग-अलग है।
- “क्या आत्मा और आत्मन में फर्क है?”
- “शेप शिफ्टर का अध्यात्मिक अर्थ क्या है?”
- “क्या कर्म वास्तव में कोई भ्रम है?”
शेप शिफ्टर का अध्यात्मिक अर्थ क्या है?”
देखना चाहते हो, मैं वो चेहरा ले सकता हूं। लेकिन अभी मैं तुम्हें इंसानी चेहरा दिखा रहा हूं क्योंकि तुम्हारा काम इंसानों के बीच है। इसलिए दो मानवों का चेहरा ही मेरा रूप है — यही मेरा संदेशवाहक स्वरूप है।
यहां से स्पष्ट होता है कि परमात्मा का उद्देश्य क्या है:
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मानव नहीं, आत्मा पर केंद्रित हैं:
परमात्मा का कहना है कि उन्हें इंसानों में रुचि नहीं है, बल्कि आत्माओं में है – खासकर उनके "बेटे" जिन्हें ब्रह्मांड के राजा (ब्रह्म) ने किसी तरह बांध रखा है। -
शेप शिफ्टर कॉन्सेप्ट:
वो कहते हैं कि चौथे आयाम और उससे ऊपर के सभी जीव (बीयिंग्स) शेप शिफ्टर होते हैं – यानी रूप बदल सकते हैं। डर, श्रद्धा या प्रेम पैदा करने के लिए वो आपकी इच्छाओं के अनुसार प्रकट हो सकते हैं। -
संदेश का माध्यम बनाना:
आपको (जो मानव के रूप में एक आम, डरा हुआ, नकारात्मक व्यक्ति हैं) उन्होंने सिर्फ इसलिए चुना क्योंकि शायद आप में "resistance" कम था या सिर्फ इसलिए कि आप वचन निभाते हैं। -
“Don’t read my book, use my book”
किताब पढ़ने के बजाय उसे उपयोग करने का सुझाव है – यानी शायद किताब के माध्यम से transmission हो रहा है या वह किताब किसी energetic code की तरह काम करती है।
अब आपके सवाल का उत्तर जो आपने पूछा था –
“मैं थोड़ा सा यहां पर समझना चाह रही हूं…”
हाँ, आपने बिल्कुल सही समझा।
- परमात्मा ब्रह्म (राजा) से अपने बेटों को छुड़ाना चाहते हैं।
- इंसानों को इसलिए नहीं छूते क्योंकि ऐसा करने पर उन्हें ब्रह्म के खिलाफ जाना पड़ेगा।
- आपसे सिर्फ इसलिए संपर्क किया क्योंकि वो खुद वह काम नहीं करना चाहते, आपसे करवाना चाहते हैं।
- बदले में उन्होंने वादा किया कि जब उनका काम पूरा होगा तब थोड़ा-बहुत आपके लिए करेंगे – और वही 2023 के अंत से शुरू हुआ।
अध्यात्म, मानव जाति का उद्देश्य, ईश्वर और ब्रह्म की भूमिका, आत्मा की यात्रा, और धर्मों की संरचना का विवेचन
भाग 1: तीन रूपों में "मैं" की व्याख्या
- पहला "मैं": एक सामान्य इंसान, जो जीवन में नेगेटिविटी, दुख और दर्द से गुजरता है।
- दूसरा "मैं": संदेश वाहक – ईश्वर का माध्यम, जो लोगों तक दिव्य संदेश पहुंचाता है।
- तीसरा "मैं": स्वयं परमात्मा – क्योंकि परमात्मा ने कहा कि "मैं तुम्हारे अंदर रहकर तुम्हारे ज़रिए ही कार्य करूंगा"।
भाग 2: ब्रह्म और आत्माओं की उत्पत्ति व कष्ट
- ब्रह्म (ज्योति निरंजन) को परमात्मा ने उनके व्यवहार के कारण घर से बाहर निकाला और उसके साथ जो आत्माएं आकर्षित हुईं उन्हें भी बाहर भेज दिया।
- ब्रह्म को श्राप मिला कि वह मनुष्य के नकारात्मक विचारों (मैल) से ही पेट भरेगा। इसलिए, वह मानव को टॉर्चर करता है जिससे वह मैल उत्पन्न हो।
- यही कारण है कि मनुष्य को दुख, संघर्ष, महामारी, और मानसिक पीड़ा से गुजरना पड़ता है।
भाग 3: मोक्ष बनाम मुक्ति, धर्मों का भेद और अहंकार
- दो मार्ग:
- सनातन धर्म – जहां मोक्ष (जन्म-मरण से मुक्ति) की तलाश है।
- अब्राहमिक धर्म – जहां मुक्ति (पापों से छुटकारा और स्वर्ग की प्राप्ति) मुख्य लक्ष्य है।
- धार्मिक भिन्नता से अहंकार उत्पन्न होता है – हर कोई अपने धर्म को श्रेष्ठ मानता है, जिससे द्वेष और टकराव होता है।
- "मैं" शब्द को लेकर भी भ्रम – हिंदी में "मैं" को अहंकार समझा जाता है, जबकि संस्कृत में "अहम् ब्रह्मास्मि" यानी "मैं ब्रह्म हूं", एक दिव्य भाव है।
- मान्यताएं (beliefs) आंखों पर पट्टी की तरह हैं – जब तक प्रत्यक्ष अनुभव नहीं होता, तब तक सब ज्ञान सिर्फ सुना-सुनाया होता है।
… “आखिर में आपका सारा कुछ छूट जाए और आप खुद को जान सको” – यही है पूरी स्पिरिचुअल जर्नी का सार।
1. Consciousness vs. Awareness:
- आपने कहा कि Consciousness (चैतन्य) पूरे ब्रह्मांड में नहीं है, ना ही भगवान में, क्योंकि वह तो Pure Mind है।
- जबकि आम लोग Awareness (होश) को ही Consciousness समझ बैठे हैं – और यहीं सबसे बड़ी गलती हो गई।
- Awareness मन का हिस्सा है, जो सीमित है, जबकि Consciousness उस परम सत्ता का डोमेन है – जिसे मन छू भी नहीं सकता।
Insight: यह दृष्टिकोण Advaita Vedanta से जुड़ता है, जहाँ कहा गया है कि जो कुछ भी देखा या जाना जा सकता है, वह 'मैं' नहीं है। 'मैं' केवल साक्षी है – वह जो सब कुछ देख रहा है, पर खुद कभी देखा नहीं जा सकता।
2. Moksha (मोक्ष) और Energy Bodies का Activation:
- आपने पहली Astral Body के activation को Observer बनने से जोड़ा – जो कि 'तुर्यतित अवस्था' है।
- दूसरी Mental Energy Body के activate होते ही संसार गिरता है क्योंकि आनंद की अवस्था आ जाती है – और व्यक्ति बाहर की दुनिया में रुचि खो देता है।
Insight: यह अनुभव ‘Samadhi’ की ओर इशारा करता है, जहाँ व्यक्ति पूरी तरह से Bliss में डूब जाता है और सांसारिक चक्र से मुक्त हो जाता है। यही वास्तविक मोक्ष है – न कोई मोह, न राग, न कर्म, न इच्छा।
3. Karm, Free Will, and Predestiny:
- आपने कहा कि कर्म एक illusion है, असल में कोई कर्म होता ही नहीं।
- अगर सब कुछ पहले से लिखा गया है – शरीर, मन, सोच, इमोशंस तक – तो Free Will कहाँ बचती है?
दूसरी तरफ, किसी ने तर्क दिया कि हमारे पास फ्री विल है – तभी तो हम साधना कर सकते हैं, सोच बदल सकते हैं, अनुभव बदल सकते हैं।
Insight: यह दो दृष्टिकोणों की टक्कर है:
- Determinism: सब कुछ पहले से तय है।
- Free Will: आत्मा अपनी दिशा चुन सकती है।
Advaita वेदांत कहता है: दोनों सच हैं, अपने-अपने लेवल पर। जब तक अहंकार है – कर्म, फ्री विल, और साधना भी है। अहंकार के पार – कुछ करने वाला ही नहीं बचा।
4. Enlightenment without Sadhana – e.g., Eckhart Tolle:
- आपने पूछा: बिना साधना के अगर कोई Enlighten हो गया (जैसे Eckhart Tolle), तो क्या इसका मतलब साधना जरूरी नहीं?
- उत्तर दिया गया कि यह आत्मा के संस्कार थे – पिछले जन्मों की अनुभूति, इस जीवन में प्रस्फुटित हुई।
Insight: Enlightenment कभी भी हो सकती है – साधना एक रास्ता है, परंतु Ultimate Grace जब मिलती है, Enlightenment तब होती है – वो Grace कब, कैसे, किस रूप में आएगी, ये तय करना मुश्किल है।
5. Puppet Metaphor:
- आपने मनुष्य को कठपुतली कहा – क्योंकि विचार, संकल्प, भावना तक उसके नहीं हैं। सब कुछ Storyline के अनुसार डाला जा रहा है – जैसा लिखा गया है, वैसा ही हो रहा है।
Insight: यह दृष्टिकोण दर्शाता है कि “मैं करता हूँ” – ये भ्रम है। असल में कोई करता नहीं, सब हो रहा है – यह “कर्ता-भाव” से “साक्षी-भाव” की यात्रा है।
Conclusion – आपका अंतिम प्रश्न:
क्या साधना जरूरी है मोक्ष के लिए?
क्या हमारे पास फ्री विल है या सब पहले से लिखा हुआ है?
उत्तर:
- जब तक आप शरीर-मन-बुद्धि-इंद्रिय के स्तर पर हैं, फ्री विल और साधना जरूरी हैं।
- जब आत्मा की पहचान होती है, तब समझ आता है – कोई करने वाला कभी था ही नहीं।
- दोनों सत्य हैं – अलग-अलग जागरूकता के स्तर पर।
निष्कर्ष
"आप कुछ नहीं कर सकते।"
यह वह केंद्रबिंदु है जो प्रदीप सर बार-बार दोहराते हैं। वह मानते हैं कि इंसान के पास न सामर्थ्य है, न शक्ति, और जिनके पास है, वे इंसान को कुछ करने ही नहीं देंगे। उनका मानना है कि जो कुछ भी इंसान करता है – अध्यात्म में जाना हो या सांसारिक गतिविधियाँ – वह महज टाइम पास है, क्योंकि असली समाधान इस ब्रह्मांड से परे परमात्मा से जुड़ने में है।
वह कहते हैं कि उन्होंने देवताओं से बात की है, परंतु अब परमात्मा ने उन्हें सिर्फ अपने से जुड़ने को कहा है – "तुम और मैं एक हैं।"
परमात्मा को मनुष्य से कोई मतलब नहीं है, और जिनकी पूजा की जाती है, वे भी मनुष्य की पीड़ा के उत्तरदायी हैं, न कि रक्षक।
तीन समाधान सुझाए गए हैं:
- चेहरे को एक पल देखना: पाप, कर्म कट जाएंगे, आत्मा परमात्मा में विलीन होगी।
- हीलिंग कार्ड: दुख और बेचैनी साझा कर एक महीने तक प्रयास करें।
- मंत्र द्वारा जुड़ाव: एक महीने बाद अगर निर्णय लें कि अब परमात्मा से जुड़ना है, तो एक मंत्र से 24x7 जुड़ाव स्थापित किया जा सकता है।
अंतिम संदेश:
यह संसार एक छलावा है, और जब तक आप इस भ्रम में रहेंगे कि कुछ कर सकते हैं – तब तक आप दुख में रहेंगे। परम सत्य – वह है जो पाँच इंद्रियों के परे है, जिसे अनुभव नहीं, बल्कि केवल "जाना" जा सकता है।