"मैं ही परमात्मा हूं - क्या ये ब्लास्टिक बम है या ब्रह्म सत्य? | I am the Parmatma – Truth or Illusion?"
परिचय (इंट्रो):
कभी आपने सोचा है कि भगवान भी किसी और के बनाए हुए हो सकते हैं? क्या हो अगर ये ब्रह्मांड एक ऐसा खेल है जहाँ भगवान सिर्फ एक किरदार हैं, और परमात्मा कोई और है जो ये सब देख रहा है?
आज हम बात कर रहे हैं मिस्टर प्रदीप शर्मा की लिखी गई किताब "मैं ही परमात्मा हूं | I am the Parmatma" की, जो न सिर्फ धार्मिक सोच को झकझोर देती है बल्कि ये दावा भी करती है कि परमात्मा स्वयं इस इंसान के ज़रिए लोगों तक संदेश पहुँचा रहे हैं।
यह पोस्ट सिर्फ एक लेख ही नहीं, बल्कि एक जागृत बम है — जो आपके सोचने के तरीके को अंदर तक हिला सकता है।
मुख्य अंश
1. भगवान और परमात्मा में अंतर:
प्रदीप जी के अनुसार भगवान ईश्वर (God) कोई Supreme Power नहीं, बल्कि परमात्मा के बेटे हैं।
परमात्मा आत्मा देता है, और भगवान शरीर। दोनों के बीच एक एग्रीमेंट है — और भगवान इंसानों की नेगेटिव थॉट्स से भोजन करते हैं।
2. इंसान एक कठपुतली है:
"भगवान इंसान से कर्म कराते हैं, पाँच इन्द्रियों का इस्तेमाल कराते हैं, ताकि वे उनसे उत्पन्न पीड़ा, दुःख, डर आदि खा सकें।"
3. मैं ही परमात्मा हूं:
"परमात्मा मेरे ज़रिए बोल रहे हैं। उन्होंने कहा — I don't care about humans... मैं किसी इंसान के लिए कुछ नहीं करूंगा।"
4. शास्त्रों की आलोचना:
"गीता, रामायण, बाइबल — ये सब कथात्मक प्रस्तुति हैं। भगवान ने इन्हें बहुत चतुराई से इंसानों को समझाया है, पर सत्य कुछ और है।"
5. आत्मा ने मुझे बनाया:
"मैं इंसान हूं, लेकिन मेरी आत्मा ने मेरी कहानी लिखी है, मेरा शरीर, मेरा मन, मेरा सब कुछ बनाया है।"
क्लाइमेक्स लाइन (Highlight Quote):
"आप नाचते-नाचते यहां तक आए हो, क्योंकि कहानी आत्मा ने लिखी है, भगवान ने शरीर दिया, लेकिन मैं ही वो आत्मा हूं जो ये सब चला रही है!"
कॉल टू एक्शन (अगले भाग के लिए सस्पेंस):
क्या वाकई कोई आत्मा इनसान के ज़रिए बोल सकती है?
क्या भगवान को हम गलत समझते आए हैं?
क्या ये सब 'Self Proclaimed Messiah' का गेम है या कुछ गहरा सत्य छिपा है?
अगले भाग  में जानेंगे — ‘The Codes’, वो दो तस्वीरें जो आत्माओं को मुक्ति दे सकती हैं।

