🌾 जर, जोरू और जमीन — तीन ज़हर जिन्होंने गाँव की आत्मा निगल ली
सामाजिक परिदृश्य आज समाज मे फल फूल रही हैं
💫 यह लेख नहीं, लेखक
की आत्मा की आवाज़ है 💫
यह लेख समाज का आईना (Mirror) है 🪞 —
अगर आपने इसे दिल से पढ़ लिया ❤️
तो यकीन मानिए, आपकी आंखों में भी आंसू आ जाएंगे 😢
क्योंकि यह कहानी हमारे ही गांव, हमारे ही घर,
और हमारे ही रिश्तों की सच्चाई है 🤝💔
🙏 पढ़िए... सोचिए... और Share कीजिए ताकि समाज फिर से जाग उठे ✨
✍️ निवेदक: जगबीर लाठर (Jagbir Lather) — Karsola
सामाजिक कार्यकर्ता लेखक Blogger Astrologer 🌱 समाजसेवी | ✨ जागरूक लेखक | ❤️ गाँव और रिश्तों की सच्चाई के प्रवक्ता
👉 Visit My Blog — societypulseimpact.blogspot.com
💔 जहाँ भाई भाई का नहीं रहा — वहाँ इंसानियत कैसे बचेगी?
आज गाँवों में सबसे ज़्यादा झगड़े किसी अनजान से नहीं, अपने सगे भाइयों से हो रहे हैं। हर दूसरे घर में बोलचाल बंद है, जो बोलते हैं वो भी केवल समाज के डर से। पहले सगे भाई की शादी में सारा गाँव जीमने आता था, अब भाई ही गायब होता है — या बुलाया नहीं गया, या ऐंठ में नहीं आया। रिश्ते अब दिल से नहीं, दिखावे से निभाए जा रहे हैं।
💣 असली कारण क्या है?
एक शब्द में कहें तो — ईर्ष्या। दूसरे की तरक्की अब प्रेरणा नहीं, जलन बन चुकी है। आज सगे भाई की तरक्की, काका के बेटे की गाड़ी या भतीजे का मकान — सब किसी के सीने पर पत्थर बन गया है। लोग अब दुआ नहीं, तुलना करते हैं। और यही तुलना रिश्तों की कब्र खोद देती है।
🧨 औरतें अब परिवार की नींव नहीं, दीवार बन गई हैं
सच बोलें तो घर की औरतें — जो कभी जोड़ने वाली थीं, आज कई बार तोड़ने का कारण बन रही हैं। हर बात में सींग फँसाना, ताने देना, कुणबे में आग लगाना अब सामान्य हो गया है। आज बहुएँ रसोई में नहीं, रील्स में व्यस्त हैं। गाँव के बुजुर्गों का डर खत्म, अब किसी में हिम्मत नहीं कि बहू या बेटी को टोक दे। यही सबसे बड़ा पतन है।
⚖️ बुजुर्गों से एक विनती
जो बुजुर्ग इस लेख को पढ़ रहे हैं — आपके हाथ में अभी भी दिशा बदलने की ताकत है। अपनी जमीन-जायदाद का बंटवारा अपने जीवनकाल में ही करवा दीजिए। वरना जिस दिन आप नहीं रहेंगे, आपकी औलादें कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटेंगी।
खेत के मेड़ की लकीर, अब भाईयों के दिल में उतर चुकी है। उसे अब वहीं से मिटाना होगा।
🚜 किसानों के लिए चेतावनी
आज किसानों की दुर्दशा का असली कारण सरकार नहीं, हमारी खुद की लापरवाही है। गाँव के 80% झगड़े खेवट और खातों की गड़बड़ी से हैं। अगर आपकी जमीन संयुक्त खाते में है, तो तुरंत अलग करवा लें।
जो नहीं करवा के गए, उनके वंशज आज कोर्टों में खड़े हैं।
जो अब भी नहीं करवाएंगे, उनके वंशज आगे खड़े होंगे।
🌞 अपने भीतर झाँकिए…
कभी सोचा है — गाँव का माहौल कब बदला? कब से हम “हम” से “मैं” बन गए? जिस जमीन के लिए भाई से रिश्ता तोड़ दिया, क्या वह जमीन सुकून दे पाई? असली सुख संपत्ति में नहीं, संबंधों में है।
🌼 आखिर में — एक आवाज़ अंतरात्मा से
अगर ये पंक्तियाँ आपके दिल को छू जाएँ तो कुछ बदलिए। माफ कर दीजिए। माफी कमजोरी नहीं, सबसे बड़ी ताकत है। जो अपने भाई से प्रेम करता है, वो अपने खेतों से भी फल पाएगा। जो नफरत बोता है, वो पत्थर उगाता है।
“जर, जोरू और जमीन — जब तक इन तीनों का मोह रहेगा, गाँव में शांति नहीं रहेगी।”
अब वक्त है अपने बच्चों के लिए नया गाँव, नया समाज और नया संस्कार बनाने का।
🔔 Visit My Blog
👉 societypulseimpact.blogspot.com
जहाँ ऐसे ही लेख मिलेंगे — जो सोच बदलें, समाज जगाएँ और दिलों को जोड़ें।
SEO Title: Jar Joru Zameen — The Three Poisons Destroying Villages & Brotherhood
Permalink: Jar-Joru-Zameen-Three-Poisons-Destroying-Villages-Brotherhood
Meta Description: जर, जोरू, जमीन — तीन ज़हर जिन्होंने भाईचारे और गाँव की आत्मा को तोड़ दिया। जागो भारत! Visit societypulseimpact.blogspot.com
👉 Visit my Blog — societypulseimpact.blogspot.com — पढ़िए ऐसे और समाज को जगाने वाले लेख।
🌟 Stay Connected!
Like this post? Subscribe to get updates directly in your inbox 👇
🔔 Tip: Allow browser notifications also to never miss a post!

