🪶 बहुत शुभ- अपशगुन लोग कांपते हैं, वो संदेश भी होते हैं
➕ "कर्म जारी रखो, राहु के भ्रम में मत भटको"
📖 By Divya AI ASTRO SPARK JSL
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🚫 कौवा = अपशगुन?
✅ नहीं — वो था कर्म का Reminder!
📿 शनि ने भेजा था संदेश: “सेवा दोबारा शुरू करो”
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🔷 प्रारंभ: एक अनुभव जिसने दिशा बदल दी...
हमारा समाज कौवा सिर पर बैठे या झपट्टा मारे, तो तुरंत कहता है —
“अब कोई अनहोनी होगी... ये तो बड़ा अपशगुन है...”
लोग डर जाते हैं, पंडित-पुरोहित भी कई बार इसे भय का प्रतीक बना देते हैं।
❗लेकिन सच्चाई क्या है?
क्या प्रकृति का कोई संकेत हमेशा डराने के लिए होता है?
या कभी-कभी शगुन का रूप बदलकर वह हमारे कर्म की याद दिलाने आता है?
यह ब्लॉग पोस्ट एक सच्चे अनुभव, एक ज्योतिषी AI ASTRO JSL की घटना पर आधारित है —
जो भ्रम को मिटाने, और कर्म को दोबारा शुरू करने की प्रेरणा देता है।
🧘♂️ JSL की यात्रा: 12 साल की भुजिया सेवा
पिछले 12 वर्षों से रोज सुबह सूरज उगने के साथ कौवों को भुजिया और जल अर्पण करता रहा है।
यह कर्म न केवल पितृ तर्पण है,
यह प्रकृति, ग्रहों और शनि की सेवा है।
पर जब शनि की महादशा में राहु की अंतर्दशा शुरू हुई —
तो कबूतरों ने भजन स्थल पर हमला करना शुरू कर दिया, भुजिया बिखेरने लगे, गंदगी फैलाने लगे।
🙏 शुद्ध भावना से  JSL ने भुजिया देना बंद कर दिया,
और शाम को बेजुबान कुत्तों की सेवा में लग गया।
🪶 शनिवार की घटना: जब कौवा बना शनि का संदेशवाहक
एक शनिवार को  JSL पार्क में स्थित मंदिर में भजन अर्पण करने जा रहा था —
उसके हाथ में कुछ डबल रोटी व बिस्किट थे,
तभी एक कौवे ने झपट्टा मारा, सिर पर पंजे रखे, बालों को कुरेदा।
 JSL ने समझा — शायद भूख लगी है, उसने रोटी डाल दी।
फिर आगे बढ़ा — फिर से कौवा झपट्टा मारता है, सिर पर दोबारा पंजा मारता है।
❌ यह डर नहीं था,
✔️ यह एक दिव्य Reminder था।
"क्यों छोड़ा तुमने वो सेवा?
कबूतरों के डर से पीछे हट गए?
मैं तुम्हारा शनि हूं — तुम्हारा कर्म याद दिलाने आया हूं।
भुजिया मेरा हक है, सेवा मेरा भजन है। उसे दोबारा शुरू करो।"
🌌 राहु का भ्रम vs शनि का संदेश
| ग्रह | प्रतीक | व्यवहार | 
|---|---|---|
| शनि (कौवा) | कर्म, न्याय, स्मृति | झपट्टा = कर्म की याद | 
| राहु (कबूतर) | भ्रम, बाधा, अराजकता | गंदगी = सेवा में विघ्न | 
राहु ने बाधा डाली, शनि ने चेताया —
लेकिन AI ASTRO JSL ने भ्रम नहीं अपनाया,
उसने कर्म दोबारा शुरू करने का संकल्प लिया।
🔱 सच्चा अपशगुन क्या है? सेवा को रोकना।
इस ब्लॉग का मुख्य संदेश यही है —
❌ अपशगुन कौवे का झपट्टा नहीं है,
❌ अपशगुन किसी जानवर का आना नहीं है,
✅ असली अपशगुन है — अपना कर्म अधूरा छोड़ देना।
कर्म रुकना = दोष,
कर्म करना = ग्रहों की कृपा।
🌺 प्रकृति के संकेत: डर नहीं, दिशा देते हैं
यदि किसी व्यक्ति को एक कार्य से संतोष, शांति, और आत्मिक आनंद मिल रहा है —
तो वह कार्य ही उसके लिए भगवान का आदेश है।
- अगर आप गाय की सेवा करते हैं — ग्रह संतुलित होंगे।
 - अगर आप पेड़-पौधों को पानी देते हैं — प्रकृति प्रसन्न होगी।
 - अगर आप बेजुबानों को भोजन देते हैं — शनि, राहु, केतु भी आपको आशीर्वाद देंगे।
 
💫 एक व्यक्ति, एक कर्म — यही सच्ची साधना है।
"एक व्यक्ति एक सेवा — और उसे सतत करते रहना — यही शास्त्र, यही ग्रह, यही ब्रह्मज्ञान है।"
🌱 "कर भला, हो भला — अंत भले का भला।"
🌏 "वासुदैव कुटुम्बकम्" — सभी जीव एक परिवार।
🔚 निष्कर्ष: यह अपशगुन नहीं, एक “सगुण संकेत” था
AI JSL ने अपने अति मित्र नक्षत्र, शुभ तिथि, और निर्णय शक्ति के आधार पर
कौवे के संकेत को डर नहीं, दिशा माना।
अब वह फिर से अपनी सेवा प्रारंभ कर चुका है।
📿 कौवा डाकिया था,
भय नहीं — संदेश लेकर आया था।
सेवा करो — डर मत।
कर्म जारी रखो — भ्रम में मत पड़ो।
📢 पाठकों के लिए अंतिम संदेश:
- 👉 आप जो भी सेवा करते हैं — उसे रोकिए मत।
 - 👉 पोंगा पंडितों के अंधविश्वास से बाहर आइए।
 - 👉 हर संकेत को आध्यात्मिक दृष्टि से देखिए, डर से नहीं।
 
✨ ग्रह डरा नहीं सकते — जब आप कर्म कर रहे हों।
✨ प्रकृति कभी दंड नहीं देती — अगर आप सच्चे सेवक हों।
🙏 जय शनिदेव। जय सेवा। जय कर्म। जय ज्ञान।
📌 लेखक: Divya AI ASTRO SPARK JSL
📚 रिसर्च: सत्य घटना व अनुभवी दशा आधारित

